अगर पाकिस्तान के कहने पर चीन भारत की ब्रह्मपुत्र नदी का पानी रोक दे तो क्या होगा? • China Stops Brahmaputra River

यह लेख बताता है कि अगर पाकिस्तान के उकसावे पर चीन ब्रह्मपुत्र नदी का जल भारत के लिए रोकता है तो (China Stops Brahmaputra River) इससे पर्यावरण, अर्थव्यवस्था और भू-राजनीति पर क्या गंभीर प्रभाव पड़ सकते हैं।

क्या पाकिस्तान के कहने पर चीन ब्रह्मपुत्र को रोककर जल को हथियार बना सकता है?
22 अप्रैल 2025 को पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान के आग्रह पर अगर चीन ब्रह्मपुत्र का जल रोकता है, तो यह जल को रणनीतिक हथियार बना देगा। भारत के जल शक्ति मंत्रालय के अनुसार, पूर्वोत्तर भारत की 29% जल आवश्यकताएं ब्रह्मपुत्र से पूरी होती हैं। इसका अवरोध कृषि, पेयजल और ऊर्जा संसाधनों को बुरी तरह प्रभावित करेगा। इससे भारत-चीन संबंधों में तनाव बढ़ेगा और जल संकट एक भू-राजनीतिक हथियार बन सकता है।

क्या ब्रह्मपुत्र का पानी रुकने से पूर्वोत्तर भारत में मानवीय संकट आएगा?
अगर ब्रह्मपुत्र का जल रुकता है, तो पूर्वोत्तर भारत के लगभग 3 करोड़ लोग प्रभावित होंगे। 2024 की जनगणना के अनुसार, असम की 65% आबादी नदी पर निर्भर है। सूखा, खाद्यान्न संकट और पीने के पानी की कमी से बड़े पैमाने पर विस्थापन होगा। आपदा प्रबंधन एजेंसियों पर भारी दबाव पड़ेगा, और तीन महीने के भीतर 20 लाख से अधिक लोगों को स्थानांतरित करने की आवश्यकता हो सकती है।

क्या सिंधु जल रोकने के बाद दक्षिण एशिया में जल युद्ध की स्थिति बन सकती है?
भारत द्वारा पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान के लिए सिंधु जल प्रवाह सीमित करने से दक्षिण एशिया में जल संघर्ष की संभावना बढ़ गई है। 2024 के ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के अनुसार, जल विवादों से 50 करोड़ से अधिक लोगों पर असर पड़ सकता है। अगर चीन भी ब्रह्मपुत्र जल को रोकता है, तो इससे क्षेत्रीय स्थिरता खतरे में पड़ सकती है और बहु-राष्ट्रीय जल युद्ध की स्थिति बन सकती है।

ब्रह्मपुत्र के रुकने से भारत की जलविद्युत उत्पादन क्षमता पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
अरुणाचल प्रदेश और असम में जलविद्युत परियोजनाएं, जो भारत की कुल ऊर्जा का लगभग 3% उत्पन्न करती हैं (केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण, 2024), ब्रह्मपुत्र पर निर्भर हैं। जल रुकने से बिजली उत्पादन गिर जाएगा और कोयले पर निर्भरता 5% तक बढ़ सकती है। इससे न केवल बिजली संकट उत्पन्न होगा बल्कि कार्बन उत्सर्जन भी बढ़ेगा, जिससे भारत की ऊर्जा सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियाँ और गंभीर होंगी।

क्या ब्रह्मपुत्र के जल प्रवाह के रुकने से पर्यावरणीय क्षति स्थायी होगी?
ब्रह्मपुत्र की वार्षिक बाढ़ से काजीरंगा जैसे जैव विविधता क्षेत्र जीवित रहते हैं। WWF इंडिया के अनुसार, जल अवरोध से 10 वर्षों में 20 जलीय प्रजातियाँ विलुप्त हो सकती हैं। मिट्टी की उर्वरता में 30% तक गिरावट आएगी और जलवायु परिवर्तन की मार अधिक तेज होगी। असम और अरुणाचल प्रदेश के नदी तटीय पारिस्थितिकी तंत्र के नष्ट होने से भारत की जलवायु लचीलापन क्षमता को गहरा आघात लगेगा।

क्या चीन का कदम अंतरराष्ट्रीय जल संधियों का उल्लंघन होगा?
चीन ने 1997 के संयुक्त राष्ट्र जल प्रवाह सम्मेलन पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं, जिससे उसे एकतरफा निर्णय लेने की छूट है। फिर भी, अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत वह निचले देशों को “महत्वपूर्ण क्षति” नहीं पहुँचा सकता। 2024 अंतरराष्ट्रीय कानून आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, जल अवरोध अंतरराष्ट्रीय आलोचना को आमंत्रित कर सकता है। हालांकि, भारत के पास कानूनी उपाय सीमित होंगे क्योंकि भारत और चीन के बीच कोई बाध्यकारी जल संधि नहीं है।

भारत इस जल आक्रामकता का कूटनीतिक मुकाबला कैसे कर सकता है?
भारत संयुक्त राष्ट्र और ब्रिक्स जैसे मंचों के माध्यम से जल संसाधनों के मानवाधिकार के मुद्दे को उठा सकता है। विदेश मंत्रालय की 2024 रिपोर्ट के अनुसार, भारत भूटान और बांग्लादेश के साथ जल कूटनीति को मजबूत करेगा। साथ ही, भारत जल अदालतों में मामला उठा सकता है और राष्ट्रीय नदी जोड़ो परियोजनाओं में निवेश बढ़ाकर जल संकट से निपटने की दीर्घकालिक रणनीति तैयार कर सकता है।

इस कहानी को अवश्य पढने योग्य क्या बनाता है?
यह लेख बताता है कि जल संकट कैसे भारत-चीन-पाकिस्तान संबंधों को बदल सकता है, करोड़ों जीवन को खतरे में डाल सकता है और वैश्विक संसाधन युद्धों के युग का संकेत दे सकता है।

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An educator for over 14 years with a background in science, technology, and geography, I simplify complex social topics with clarity and curiosity. Crisp, clear, and engaging writing is my craft—making knowledge accessible and enjoyable for all.

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