क्या बोलीविया का ‘ज़ॉम्बी’ ज्वालामुखी उतुरुंकु फिर से जाग रहा है? • Uturuncu Volcano
बोलीविया के उतुरुंकु ज्वालामुखी (Uturuncu Volcano) पर 2025 की नई रिसर्च से पता चला कि इसके अंदर मैग्मा और गैसें सक्रिय हैं। यह अध्ययन दुनिया भर के ज्वालामुखीय खतरों को समझने में मदद करता है।
1. उतुरुंकु को ‘ज़ॉम्बी’ ज्वालामुखी क्यों कहा जाता है?
30 अप्रैल 2025 को वैज्ञानिकों ने पुष्टि की कि बोलीविया के सेंट्रल एंडीज़ में स्थित उतुरुंकु ज्वालामुखी के नीचे मैग्मा और गैसें फिर से हरकत में हैं। यह ज्वालामुखी लगभग 2.5 लाख वर्षों से शांत है। यह Altiplano-Puna ज्वालामुखीय क्षेत्र का हिस्सा है, जहां पृथ्वी की सबसे बड़ी ज्ञात मैग्मा बॉडी स्थित है। ऑक्सफोर्ड और कॉर्नेल विश्वविद्यालय की रिसर्च से पुष्टि हुई कि इसके केंद्र का उठना और किनारों का धँसना सतही दबाव में बदलाव का संकेत है।
2. ‘सोम्ब्रेरो’ विकृति पैटर्न क्यों खास है?
उतुरुंकु की जमीन एक अनोखे “सोम्ब्रेरो” पैटर्न में बदल रही है—बीच का हिस्सा ऊपर उठ रहा है जबकि किनारे धँस रहे हैं। सैटेलाइट डाटा के अनुसार, यह बदलाव हर साल 1 सेंटीमीटर तक हो रहा है। यह पैटर्न, जो दुनियाभर में दुर्लभ है, इंगित करता है कि नीचे गर्म तरल पदार्थ ऊपर की ओर दबाव बना रहे हैं। यह पुष्टि अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों द्वारा किए गए सटीक अवलोकनों के माध्यम से हुई है।
3. भूकंपों के विश्लेषण से क्या खुलासा हुआ?
वैज्ञानिकों ने 1,700 से अधिक भूकंपों का डेटा विश्लेषण किया और यह पाया कि 15–20 किमी की गहराई पर मैग्मा और गैसें दरारों से गुजर रही हैं। इन भूकंपों की तीव्रता 3 से कम थी और यह एक विशेष गहराई पर केंद्रित थे। इससे स्पष्ट हुआ कि अभी ज्वालामुखी में सतह तक पहुँचने वाला कोई सक्रिय चैनल नहीं है। यह अध्ययन वैश्विक भूकंपीय निगरानी प्रणालियों से सत्यापित किया गया है।
4. ज्वालामुखीय अध्ययन में भूकंपीय टोमोग्राफी की भूमिका क्या है?
भूकंपीय टोमोग्राफी एक चिकित्सा CT स्कैन की तरह काम करती है, जिससे ज्वालामुखी के अंदर की संरचना की 3D छवि बनती है। उतुरुंकु में इस तकनीक से मैग्मा और गैसों के प्रवाह के रास्ते पहचाने गए। कम गति वाले क्षेत्रों से वैज्ञानिकों को ज्वालामुखी के भीतर पिघले हुए चट्टानों का पता चला। यह तकनीक सैटेलाइट और भूकंपीय आंकड़ों से क्रॉस-वेरिफाई की गई है।
त्वरित तथ्य बॉक्स: उतुरुंकु ज्वालामुखी अध्ययन से जुड़े आंकड़े (2025)
विशेषता | आँकड़े |
---|---|
निष्क्रियता काल | लगभग 250,000 वर्ष |
भूमि उठने की दर | लगभग 1 सेमी/वर्ष |
विश्लेषित भूकंप | 1,700+ |
मैग्मा की गहराई | 15–20 किमी |
विकृति पैटर्न | केंद्रीय उठाव और बाहरी धँसाव |
विस्फोट का जोखिम | कम, बहु-संस्थागत शोधों से सत्यापित |
5. स्थानीय समुदायों के लिए यह अध्ययन क्यों अहम है?
हालांकि फिलहाल विस्फोट की संभावना कम है, लेकिन निरंतर निगरानी जरूरी है। यह क्षेत्र ग्रामीण है, लेकिन यदि विस्फोट होता है तो यह खनन और वायुयात्रा को प्रभावित कर सकता है। एंडीज़ के अतीत में ऐसे विस्फोटों से राख हजारों किलोमीटर तक फैली है। इस अध्ययन की मदद से बोलीविया की सरकार आपदा प्रबंधन रणनीति तैयार कर सकती है। यह डेटा पुष्टि करता है कि सतर्कता से जनहानि रोकी जा सकती है।
6. आगे वैज्ञानिक क्या करने की योजना बना रहे हैं?
इस रिसर्च के आधार पर वैज्ञानिक अब अन्य निष्क्रिय ज्वालामुखियों की गहराई में भी अध्ययन करना चाहते हैं। जापान, इंडोनेशिया जैसे क्षेत्रों में भी सतह की हलचलों को टोमोग्राफी से जांचा जाएगा। यह बहु-विषयी पद्धति—टोमोग्राफी, विकृति मॉडलिंग और तरल प्रवाह विश्लेषण—अब वैश्विक मानक बन रही है। बोलीविया के सत्यापित परिणाम अन्य ज्वालामुखीय खतरों की पूर्व चेतावनी में सहायक सिद्ध होंगे।
7. विशेषज्ञों की इस शोध पर क्या राय है?
कॉर्नेल यूनिवर्सिटी की डॉ. टैरिन लिन कहती हैं, “हमें अब यह समझ आने लगा है कि बिना विस्फोट के भी ज्वालामुखी कैसे सांस लेते हैं।” प्रसिद्ध सिस्मोलॉजिस्ट डॉ. एमिली ब्रॉडस्की के अनुसार, “यह शोध मृत ज्वालामुखियों की जीवंत गतिविधियों की झलक देता है।” ये टिप्पणियाँ सहकर्मी-समीक्षित अध्ययनों द्वारा सत्यापित हैं और वैज्ञानिक समुदाय में स्वीकार्यता प्राप्त कर चुकी हैं।
क्या बात बनाती है इस कहानी को पढ़ने योग्य
उतुरुंकु की चुपचाप हो रही हलचलें दर्शाती हैं कि निष्क्रिय ज्वालामुखी भी जीवित हो सकते हैं। यह शोध वैश्विक सुरक्षा, वैज्ञानिक समझ और आपदा प्रबंधन की दिशा में महत्वपूर्ण है।
Share this content:
Post Comment