सिमिलिपाल बना ओडिशा का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान • Similipal National Park

Similipal National Park

26 अप्रैल 2025 को सिमिलिपाल को ओडिशा का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया, जो जैव विविधता संरक्षण, आदिवासी समुदायों के विकास और पर्यावरणीय स्थिरता की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।

1. सिमिलिपाल को 2025 में राष्ट्रीय उद्यान क्यों घोषित किया गया?
26 अप्रैल 2025 को ओडिशा सरकार ने सिमिलिपाल को आधिकारिक रूप से राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया। 845.70 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला यह उद्यान भारत का 107वां राष्ट्रीय उद्यान बना। इससे क्षेत्र को सख्त कानूनी संरक्षण मिला और भारत के 2030 तक संरक्षित क्षेत्रों को 5% बढ़ाने के लक्ष्य को मजबूती मिली। यह कदम जैव विविधता संरक्षण और पर्यावरणीय स्थिरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतीक है।

2. सिमिलिपाल के संरक्षण का ऐतिहासिक सफर कैसा रहा?
सिमिलिपाल का संरक्षण 1975 में वन्यजीव अभयारण्य के रूप में शुरू हुआ और 1980 में इसे राष्ट्रीय उद्यान बनाने का प्रस्ताव आया। लगभग 45 वर्षों तक प्रशासनिक और मानव बसावट जैसी चुनौतियों के चलते इसकी औपचारिक घोषणा रुकी रही। 2025 की यह घोषणा पूर्वी भारत के सबसे समृद्ध वनों और बाघ आवासों की रक्षा में वर्षों के वैज्ञानिक प्रयासों और स्थानीय मांगों की सफलता का प्रतीक है।

3. आज सिमिलिपाल की जैव विविधता कितनी समृद्ध है?
सिमिलिपाल में 55 स्तनधारी, 361 पक्षी, 62 सरीसृप और 21 उभयचर प्रजातियाँ पाई जाती हैं। यह 2,750 वर्ग किलोमीटर में फैले सिमिलिपाल टाइगर रिजर्व का हिस्सा है। 2022 में बाघों की संख्या 29 रिकॉर्ड की गई थी। अपनी असाधारण विविधता के चलते सिमिलिपाल अब भारत के शीर्ष 10 जैव विविधता वाले राष्ट्रीय उद्यानों में गिना जाता है, जो पूर्वी घाट की पारिस्थितिकी के संरक्षण में प्रमुख भूमिका निभाता है।

4. सिमिलिपाल को राष्ट्रीय उद्यान बनाने में क्या चुनौतियाँ रहीं?
सिमिलिपाल के राष्ट्रीय उद्यान घोषित होने में सबसे बड़ी चुनौती मानव बसावट थी। कोर क्षेत्र में छह गांव स्थित थे, जिनमें से पाँच को पुनर्स्थापित किया गया। बाकुआ गांव अब भी वहीं है, जिसे उद्यान क्षेत्र से बाहर रखना पड़ा। यह संघर्ष पूरे भारत में संरक्षित क्षेत्रों और मूल निवासियों के अधिकारों के बीच संतुलन बनाने की राष्ट्रीय चुनौती को दर्शाता है।

5. राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा सिमिलिपाल के संरक्षण को कैसे मजबूत करेगा?
राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा मिलने से सिमिलिपाल में सख्त संरक्षण कानून लागू होंगे और वित्तीय सहायता में लगभग 30% की वृद्धि होगी। इससे अवैध शिकार नियंत्रण, आवास बहाली और पारिस्थितिक पर्यटन में सुधार संभव होगा। सरकार के अनुसार, आने वाले वर्षों में बाघों की संख्या और जैव विविधता दोनों में वृद्धि की पूरी संभावना है, जिससे सिमिलिपाल भारत के प्रमुख संरक्षित क्षेत्रों में शामिल हो जाएगा।

6. सिमिलिपाल का संरक्षण आदिवासी समुदायों को कैसे प्रभावित करेगा?
राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा आदिवासी समुदायों की आकांक्षाओं के साथ संरक्षण को जोड़ता है। सरकार सतत विकास के तहत इको-टूरिज्म, हस्तशिल्प और वन उत्पाद आधारित आजीविका को बढ़ावा दे रही है। रिपोर्टों के अनुसार, इन पहलों से आदिवासी आय में लगभग 25% तक वृद्धि हो सकती है। यह मॉडल संरक्षण और सामाजिक सशक्तिकरण का सफल उदाहरण प्रस्तुत करता है।

7. भविष्य में सिमिलिपाल के लिए क्या योजनाएँ हैं?
ओडिशा सरकार 2027 तक सिमिलिपाल में स्मार्ट सर्विलांस सिस्टम, बफर ज़ोन प्रबंधन और वैज्ञानिक पर्यटन को बढ़ावा देने की योजना बना रही है। वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया जैसी संस्थाओं के सहयोग से बाघ निगरानी और जैव विविधता अनुसंधान को भी सशक्त किया जाएगा। ये कदम सिमिलिपाल को भारत के सबसे आधुनिक और टिकाऊ राष्ट्रीय उद्यानों में स्थान दिलाने के लिए तैयार किए जा रहे हैं।

8. यह कहानी पढ़ना क्यों जरूरी है?
सिमिलिपाल की राष्ट्रीय उद्यान यात्रा पर्यावरण संरक्षण, सामाजिक न्याय और वैज्ञानिक नवाचार का संगम है, जो सतत विकास और जैव विविधता संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण सबक प्रदान करती है।

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An educator for over 14 years with a background in science, technology, and geography, I simplify complex social topics with clarity and curiosity. Crisp, clear, and engaging writing is my craft—making knowledge accessible and enjoyable for all.

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