साइप्रस में अपोलो तीर्थ का पुनः खोजा जाना बदल रहा है इतिहास • Rediscovery of Apollo Sanctuary

Rediscovery of Apollo Sanctuary: 1885 से खोया हुआ अपोलो का एक प्राचीन तीर्थस्थान साइप्रस में तामासोस के पास फिर से खोजा गया। यह खोज मूर्तियों, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और धार्मिक जीवन के नए पहलुओं को उजागर करती है।
Table of Contents
Toggle1. क्या खोजा गया है और यह आज इतना मायने क्यों रखता है?
प्राचीन तामासोस शहर के पास स्थित साइप्रस में एक पुराना अपोलो तीर्थस्थान जिसे 1885 में पहली बार खोजा गया था, अब फिर से उजागर हुआ है। 100 से अधिक मूर्ति-आधार, जिनमें कई विशाल हैं, सामने आए हैं। यह ग्रामीण तीर्थ एक समय में अत्यंत समृद्ध था, जिसे अब फ्रैंकफर्ट और कील/वुर्जबर्ग विश्वविद्यालयों की टीम ने 2021 में पुनः खोजा। यह खोज 135 वर्षों बाद एक पवित्र स्थल को पुनर्जीवित कर ⁄आज की पीढ़ी को अतीत से जोड़ती है।
2. भूले हुए टुकड़े कैसे एक बड़ा मूर्तिकला इतिहास उजागर करते हैं?
नई खुदाई में चूना पत्थर से बनी मूर्तियों के टुकड़े मिले हैं, जिनमें विशालकाय पैरों के भाग शामिल हैं, जो 7वीं-6वीं सदी ईसा पूर्व के अरकैइक काल से हैं। 75% से अधिक टुकड़े पहले दर्ज नहीं किए गए थे और 19वीं सदी की खुदाई में अनदेखा रह गए। साइप्रस और टोरंटो के संग्रहालयों में रखी अधूरी मूर्तियों को अब इन टुकड़ों से पुनर्निर्मित किया जा सकता है, जिससे खोई हुई कलाओं को फिर से जीवंत करने का अवसर मिला है।

3. मिस्र के तावीज़ इस तीर्थ के वैश्विक महत्व की पुष्टि कैसे करते हैं?
खोजे गए वस्तुओं में मिस्र के फेएन्स (चमकदार सिरेमिक) तावीज़ और संगमरमर की कांच मनके शामिल हैं। कम से कम 40 ऐसी वस्तुएँ मिलीं, जो बताती हैं कि यह तीर्थस्थान अंतरराष्ट्रीय धार्मिक संबंधों का केंद्र था। पुरातत्व विभाग ने इन वस्तुओं की प्रामाणिकता और धार्मिक महत्व की पुष्टि की है। यह खोज दर्शाती है कि साइप्रस और मिस्र के बीच विश्वास और सांस्कृतिक आदान-प्रदान प्राचीन काल से ही गहरे थे।
📌 त्वरित तथ्य बॉक्स: अपोलो तीर्थ पुनः खोज के मुख्य बिंदु
- 📍 स्थान: फ्रांगिसा घाटी, पेरा ओरिनिस गाँव, साइप्रस
- 🏛️ मूल खुदाई: 1885, मैक्स ओहनेफाल्श-रिश्टर द्वारा
- 🔍 पुनः खोज टीम: फ्रैंकफर्ट, कील, वुर्जबर्ग विश्वविद्यालय
- 🗿 मूर्तियाँ मिलीं: 100+ आधार और विशाल टुकड़े
- 🌍 सांस्कृतिक कड़ियाँ: मिस्र की वस्तुएं, यूनानी व साइप्रस लिपियाँ
- 🕰️ समय सीमा: अरकैइक से हेलेनिस्टिक काल (7वीं–2वीं सदी ई.पू.)
- 📜 लिपि प्रमाण: सिप्रो-सिलेबिक और प्राचीन यूनानी
4. ये शिलालेख तीर्थ की समयसीमा कैसे बढ़ाते हैं?
नई खुदाई में दो शिलालेख मिले: एक सिप्रो-सिलेबिक लिपि में और दूसरा यूनानी में, जो मिस्र के प्टोलेमिक शासकों का उल्लेख करता है। यह पुष्टि करता है कि तीर्थ का उपयोग 7वीं सदी ईसा पूर्व से हेलेनिस्टिक काल तक हुआ था। लगभग 500 वर्षों तक इस स्थल पर धार्मिक गतिविधियाँ चलती रहीं। यह स्थायित्व दर्शाता है कि तीर्थ धार्मिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक बदलावों के बावजूद एक भावनात्मक और सामाजिक स्थिरता का केंद्र बना रहा।
5. नव खोजे गए परिस्तायल आंगन का उद्देश्य क्या रहा होगा?
एक विशाल स्तंभयुक्त आंगन की खोज की गई, जो संभवतः भोज या धार्मिक सभा के लिए उपयोग होता था। 30 से अधिक वास्तुशिल्प अवशेषों से यह बात प्रमाणित होती है। यह यूनानी परंपरा को दर्शाता है, जहाँ पूजा और सामाजिक विचार-विमर्श एक साथ होते थे। पुरातत्व विभाग के अनुसार यह तीर्थ केवल पूजा स्थल नहीं, बल्कि सामुदायिक जीवन और उत्सवों का भी केंद्र था—जहाँ लोगों ने स्मृतियों और संस्कारों को साझा किया।
6. यह स्थल 1885 के बाद इतने वर्षों तक क्यों खोया रहा?
1885 की खुदाई के बाद, खुदाई स्थल को भर दिया गया और स्थानिक रिकॉर्डिंग नहीं की गई। कई टुकड़े दर्ज नहीं हुए और स्थान अनजान रह गया। आधुनिक तकनीक जैसे LIDAR और 3D मॉडलिंग से 2021 में इसे फिर से खोजा गया। 60% से अधिक संरचनाएं अब तक दर्ज नहीं थीं। यह घटना इस बात की सीख देती है कि वैज्ञानिक अनुसंधान में भावनात्मक श्रद्धा और गहन विश्लेषण दोनों आवश्यक हैं।
7. विशेषज्ञ और संग्रहालय इस खोज को लेकर क्या कह रहे हैं?
मथायस रेक ने कहा, “इतिहास से आमने-सामने मिलना जैसा अनुभव है।” फिलिप कोबुश ने जोड़ते हुए कहा कि “बिखरे टुकड़ों को जोड़कर हम इतिहास को फिर से सुनने में सक्षम हो रहे हैं।” संग्रहालयों और अकादमिक रिपोर्टों ने इसकी पुष्टि की है। अब वैश्विक साझेदारी से इन मूर्तियों का डिजिटल पुनर्निर्माण किया जा रहा है। यह खोज भावनात्मक रूप से बिखरे अतीत को फिर से जोड़ती है और खोई हुई सांस्कृतिक पहचान को फिर से सामने लाती है।
यह कहानी क्यों ज़रूर पढ़नी चाहिए
यह खोज मूर्तिकला, धर्म और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को जोड़ती है। यह एक भूले हुए तीर्थ को पुनर्जीवित करती है और सदियों पुराने विश्वास, कला और समुदाय को आज से जोड़ती है।
यह आलेख मूलतः साइप्रस गणराज्य पर प्रकाशित हुआ था।
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