प्राचीन डीएनए ने पिक्यूरिस पुएब्लो और चाको कैन्यन का रिश्ता साबित किया • Chaco Canyon

Reading Time: 3 minutes

30 अप्रैल 2025 को प्रकाशित एक ऐतिहासिक अध्ययन ने प्राचीन डीएनए से पिक्यूरिस पुएब्लो की चाको कैन्यन (Chaco Canyon) से वंशानुगत कड़ी को प्रमाणित किया, जिससे अनुसंधान नैतिकताओं और आदिवासी अधिकारों की दिशा बदली।

1. 30 अप्रैल 2025 को पिक्यूरिस पुएब्लो ने कौन-सी ऐतिहासिक खोज की?
उत्तरी न्यू मैक्सिको की पिक्यूरिस पुएब्लो जनजाति (जनसंख्या लगभग 300) ने नेचर पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में चाको कैन्यन से अपनी वंशीयता की पुष्टि डीएनए विश्लेषण से की। 1300–1500 ई. में जीवित 16 प्राचीन व्यक्तियों और 13 वर्तमान पिक्यूरिस सदस्यों में 95% से अधिक आनुवंशिक समानता पाई गई। यह पहली बार है जब किसी जनजाति द्वारा संचालित अध्ययन ने मौखिक परंपराओं को वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित किया।

2. आदिवासी अनुसंधान में यह अध्ययन क्यों क्रांतिकारी है?
2017 के विवादित अध्ययन की तरह नहीं, इस बार पिक्यूरिस नेताओं ने परियोजना को पूर्ण नियंत्रण में रखा। दो वर्षों की परामर्श प्रक्रिया में जनजाति को परियोजना रोकने का अधिकार था। इस अध्ययन ने यह दिखाया कि केवल 20% डीएनए अध्ययनों में आदिवासी सहमति शामिल होती है। डॉ. एस्के विलरसलेव और उनकी टीम ने सहयोगी और नैतिक रूप से स्वीकृत मॉडल प्रस्तुत किया, जो भविष्य की अनुसंधान पद्धति के लिए मील का पत्थर बन गया।

त्वरित तथ्य बॉक्स: पिक्यूरिस-चाको डीएनए अध्ययन 2025
प्रकाशन तिथि: 30 अप्रैल 2025
नेतृत्व: पिक्यूरिस पुएब्लो जनजाति
मुख्य वैज्ञानिक: डॉ. एस्के विलरसलेव, कोपेनहेगन विश्वविद्यालय
प्रमुख खोज: 95% से अधिक आनुवंशिक समानता
जर्नल: Nature

3. यह अध्ययन कैसे शुरू हुआ और इसकी पृष्ठभूमि क्या थी?
2019 में साउदर्न मेथोडिस्ट यूनिवर्सिटी के पुरातत्वविदों ने ताओस के पास पाई गई हड्डियों की जानकारी पिक्यूरिस को दी। ये अवशेष पहले पुनःसमर्पण प्रयासों से छूट गए थे। पिक्यूरिस नेताओं ने मौखिक इतिहास की पुष्टि हेतु डॉ. विलरसलेव से संपर्क किया। 1300–1500 ई. के बीच के 16 प्राचीन व्यक्तियों के डीएनए और 13 वर्तमान सदस्यों की तुलना से ऐतिहासिक कड़ी साबित हुई, जिससे दशकों की अकादमिक अनदेखी को चुनौती दी गई।

4. इस अध्ययन का कानूनी और पर्यावरणीय अधिकारों पर क्या असर पड़ा?
यह प्रमाण जनजाति के चाको कैन्यन में भूमि और संरक्षण अधिकारों को मज़बूत करता है। 95% डीएनए मिलान और चाको के दफन अवशेषों से समानता इस ऐतिहासिक संबंध को कानूनी रूप से मजबूत बनाती है। तेल और गैस ड्रिलिंग से जुड़े विवादों में अब पिक्यूरिस का दावा वैज्ञानिक प्रमाणों के साथ सामने आया है, जिससे नीति-निर्माण में उनकी भागीदारी और असर बढ़ा है।

5. चाको कैन्यन की सांस्कृतिक महत्ता क्या है और इसमें पिक्यूरिस की भूमिका क्या है?
चाको कैन्यन, जो 33,000 एकड़ से अधिक क्षेत्र में फैला है, लगभग 20 पुएब्लो जनजातियों के लिए पवित्र स्थल है। 850–1150 ई. में निर्मित पुएब्लो बोनिटो जैसी संरचनाएं पिक्यूरिस की मौखिक परंपराओं से मेल खाती हैं। इस अध्ययन ने मौखिक इतिहास को वैज्ञानिक आधार देकर यह सिद्ध किया कि बिना लिखित रिकॉर्ड के भी आदिवासी ज्ञान विश्वसनीय और संरक्षित रहा है।

6. पिछले अनुसंधानों में कौन-सी नैतिक गलतियाँ की गई थीं?
2017 में हुए एक चाको अध्ययन में जनजातियों से कोई अनुमति नहीं ली गई थी। इससे पहले 2004 में हवासुपाई जनजाति ने एरिज़ोना स्टेट यूनिवर्सिटी पर मुकदमा किया था, क्योंकि उनकी डीएनए जानकारी का गलत उपयोग किया गया था। शोध बताते हैं कि केवल 14% प्राचीन डीएनए अध्ययन आदिवासी स्वीकृति से हुए। पिक्यूरिस अध्ययन नैतिक अनुसंधान की नई दिशा तय करता है।

7. इस अध्ययन के बारे में जनजाति और वैज्ञानिकों ने क्या कहा?
डॉ. विलरसलेव ने कहा, “विज्ञान को लोगों की सेवा करनी चाहिए, उन पर हावी नहीं होना चाहिए।” पिक्यूरिस नेताओं ने कहा, “अब हमारे पूर्वजों की आवाज़ दुनिया सुन रही है।” यह साझेदारी न केवल वैज्ञानिक उपलब्धि है, बल्कि पीढ़ियों से चले आ रहे सांस्कृतिक दर्द को भरने की प्रक्रिया भी है, जिससे आत्म-स्वामित्व और पहचान को नई पुष्टि मिली है।

इस कहानी को क्यों पढ़ना चाहिए
यह रिपोर्ट विज्ञान और आदिवासी नेतृत्व का संगम है, जो मौखिक इतिहास को डीएनए प्रमाणों से पुष्ट करती है और अनुसंधान में नैतिकता और न्याय की नई मिसाल कायम करती है।

ये भी पढ़ सकते है…

यह आलेख मूलतः नेचर में प्रकाशित हुआ था।

Share this content:

An educator for over 14 years with a background in science, technology, and geography, I simplify complex social topics with clarity and curiosity. Crisp, clear, and engaging writing is my craft—making knowledge accessible and enjoyable for all.

Post Comment

You May Have Missed