Next Pope नए पॉप कौन? पॉप फ्रांसिस का निधन

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नए पोप का चयन
जब कोई पोप मृत्यु को प्राप्त होता है या इस्तीफा देता है, तो नए पोप (Next Pope) का चयन कार्डिनलों के एक समूह द्वारा एक प्रक्रिया के तहत किया जाता है, जिसे पेपल कॉन्क्लेव कहा जाता है। पॉप फ्रांसिस का ईस्टर सोमवार के दिन निधन हो गया इसलिए पेपल कॉन्क्लेव की प्रक्रिया निचे दिए गए स्टेप्स में आने वाले दिनों में की जाएगी ।

  1. 1. नए पोप का चयन
    जब कोई पोप या तो मृत्यु को प्राप्त होता है या अपने पद से इस्तीफा देता है (जैसे पोप बेनेडिक्ट XVI ने 2013 में किया था), तो वेटिकन को नया पोप चुनना होता है। यह चुनाव कार्डिनलों की एक विशेष सभा के माध्यम से होता है, जिसे पेपल कॉन्क्लेव कहा जाता है। यह प्रक्रिया अत्यंत गोपनीय होती है और इसका आयोजन वेटिकन सिटी के भीतर किया जाता है। इस चुनाव का उद्देश्य केवल एक नया धार्मिक नेता नहीं चुनना होता, बल्कि पूरे कैथोलिक समुदाय को एक दिशा प्रदान करना भी होता है।

    2. कार्डिनलों की बैठक
    कॉन्क्लेव में वही कार्डिनल भाग लेते हैं जिनकी उम्र 80 वर्ष से कम होती है। वे वेटिकन सिटी पहुँचते हैं और औपचारिक तैयारी शुरू करते हैं। वे एक गोपनीयता की शपथ लेते हैं जिसमें वे वादा करते हैं कि वे किसी भी बाहरी दबाव, मीडिया, या राजनीति से प्रभावित हुए बिना वोट करेंगे। कॉन्क्लेव से पहले ये कार्डिनल “जनरल कांग्रेगेशन” में भाग लेते हैं, जिसमें चर्च की वर्तमान स्थिति और अगले पोप की ज़रूरतों पर चर्चा होती है। इसके बाद ही मतदान की प्रक्रिया शुरू होती है।

    3. सिस्टीन चैपल में मतदान
    वोटिंग वेटिकन की सिस्टीन चैपल में होती है, जो माइकलएंजेलो की प्रसिद्ध कलाकृति के लिए जानी जाती है। प्रत्येक कार्डिनल एक कागज़ी बैलेट पर अपने चुने हुए उम्मीदवार का नाम लिखता है। फिर वे एक-एक कर altar तक जाते हैं, कसम खाते हैं, और अपनी पर्ची एक विशेष प्याले (chalice) में डालते हैं। यह प्रक्रिया गोपनीय होती है, और कार्डिनल किसी से चर्चा नहीं कर सकते। हर कार्डिनल को विचारशील होकर यह निर्णय लेना होता है कि कौन व्यक्ति चर्च का नेतृत्व करने के योग्य है।

    4. गिनती और पुनर्गणना
    मतपत्र इकट्ठे करने के बाद उन्हें एकत्र कर हिलाया जाता है ताकि गिनती निष्पक्ष और व्यवस्थित हो। फिर तीन विशेष रूप से नियुक्त कार्डिनल मतगणना करते हैं। हर मतपत्र को पढ़ा जाता है, नामों को ज़ोर से दोहराया जाता है और फिर एक लॉगबुक में दर्ज किया जाता है। यदि किसी वोट में गलती होती है या दो नाम होते हैं, तो वो अमान्य माना जाता है। यदि संदेह होता है तो पुनर्गणना होती है। यह प्रक्रिया पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करती है।

    5. सहमति की तलाश
    पहले दिन आमतौर पर एक ही वोट होता है, लेकिन इसके बाद हर दिन चार बार तक वोटिंग हो सकती है—दो सुबह और दो शाम को। यह तब तक चलता है जब तक किसी एक उम्मीदवार को दो-तिहाई बहुमत (उदाहरणतः 120 में से 80 वोट) न मिल जाए। यह नियम यह सुनिश्चित करता है कि चुना गया पोप सभी कार्डिनलों की सहमति से हो और चर्च को एकजुट रख सके। इस दौरान कार्डिनल आपस में चर्चा नहीं करते, बल्कि ध्यान और प्रार्थना में समय बिताते हैं।

    6. दुनिया को संकेत
    हर वोटिंग राउंड के बाद मतपत्रों को सिस्टीन चैपल की एक विशेष चिमनी में जलाया जाता है। अगर कोई निर्णय नहीं हुआ हो, तो काला धुआँ निकलता है। ये काले धुएं के लिए विशेष रसायनों या गीले भूसे का प्रयोग किया जाता है। लेकिन जैसे ही एक पोप चुन लिया जाता है, सफेद धुआँ निकलता है—जो कि दुनिया को संकेत देता है कि नया पोप चुन लिया गया है। इसके साथ ही वेटिकन की घंटियाँ भी बजाई जाती हैं ताकि लोगों को स्पष्ट संदेश मिले: Habemus Papam — “हमें नया पोप मिला है।”

    7. नया पोप
    जब किसी उम्मीदवार को आवश्यक वोट मिल जाते हैं, तो उनसे पूछा जाता है कि क्या वे इस जिम्मेदारी को स्वीकार करते हैं। यदि वे सहमति देते हैं, तो वहीं पर उन्हें पोप घोषित कर दिया जाता है। फिर वह एक नया पेपल नाम चुनते हैं—जो अक्सर किसी पुराने पोप या संत के नाम पर आधारित होता है। इसके तुरंत बाद, वेटिकन की बालकनी से घोषणा होती है: “Habemus Papam” और नया पोप दुनिया को अपना पहला संदेश देते हैं। यही क्षण इतिहास का हिस्सा बन जाता है।

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An educator for over 14 years with a background in science, technology, and geography, I simplify complex social topics with clarity and curiosity. Crisp, clear, and engaging writing is my craft—making knowledge accessible and enjoyable for all.

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