नई अन्वेषण लाइसेंसिंग नीति • New Exploration Licensing Policy

यह क्या है?
भारत सरकार ने 1999 में नई खोज एवं लाइसेंसिंग नीति (New Exploration Licensing Policy NELP) की शुरुआत की, जिससे देश में तेल और गैस क्षेत्र में भारी निवेश आया। इस नीति के तहत कंपनियों को खोज लागत वसूलने के बाद सरकार से लाभ साझा करने की अनुमति दी गई। 1999 से 2010 के बीच कुल 254 ब्लॉक आवंटित हुए और $17.6 बिलियन का निवेश आकर्षित हुआ। इसके परिणामस्वरूप 67 तेल और 110 गैस भंडार खोजे गए। यह नीति भारत की अपस्ट्रीम ऊर्जा संरचना को मजबूती देने में मील का पत्थर साबित हुई और इससे कुल 177 हाइड्रोकार्बन खोजें संभव हुईं। यह नीति 2016 तक प्रभावी रही, जब इसे नई व्यवस्था से प्रतिस्थापित कर दिया गया।

यह कैसे काम करता है?
NELP के तहत कंपनियों को पहले अपने अन्वेषण व्यय की भरपाई करने की अनुमति थी, फिर शुद्ध लाभ सरकार के साथ साझा किया जाता था। यह मॉडल पारदर्शिता और निवेश को प्रोत्साहित करता था, लेकिन लागत वसूली से जुड़े विवाद भी उत्पन्न हुए। 2016 में सरकार ने इसे हटाकर राजस्व साझाकरण अनुबंध (RSC) प्रणाली लागू की, जिसमें कंपनियां उत्पादन का एक प्रतिशत सरकार को देने की बोली लगाती हैं। 2018 में ओपन एक्रिज लाइसेंसिंग नीति (OALP) लागू हुई, जिससे कंपनियां अपनी रुचि के ब्लॉक चुन सकती थीं। इसके अलावा, HELP और DSF जैसी नीतियों ने क्षेत्रीय खोजों और छोटे संसाधनों के व्यावसायीकरण में सहायता की।

लोगों को क्या लाभ हुआ?
इन नीतियों के चलते भारत में तेल और गैस के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा मिला, जिससे ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में प्रगति हुई। $36 बिलियन से अधिक के कुल निवेश और 177 हाइड्रोकार्बन खोजों ने देश की ऊर्जा सुरक्षा मजबूत की। DSF नीति के तहत 85 छोटे क्षेत्रों को विकसित किया गया, जिससे $69 मिलियन का अतिरिक्त निवेश आया और स्थानीय रोजगार के अवसर बढ़े। इसके अलावा, तेल और गैस की आपूर्ति में स्थिरता आई, जिससे उद्योगों और उपभोक्ताओं को सस्ती और सुलभ ऊर्जा मिली। यह ऊर्जा क्षेत्र के लिए एक निर्णायक मोड़ साबित हुआ।

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An educator for over 14 years with a background in science, technology, and geography, I simplify complex social topics with clarity and curiosity. Crisp, clear, and engaging writing is my craft—making knowledge accessible and enjoyable for all.

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