अज़रबैजान में 8,400 साल पुरानी मूर्ति की खोज • Figurine Discovery in Azerbaijan
अज़रबैजान की दमजिली गुफा से मिली 8,400 साल पुरानी मानव आकृति (Figurine Discovery in Azerbaijan) मेसोलिथिक युग की प्रतीकात्मक सोच और नवपाषाण विकास सिद्धांतों को नए सिरे से परिभाषित करती है।
1. अज़रबैजान की यह खोज मेसोलिथिक काल में क्यों है ऐतिहासिक?
पश्चिमी अज़रबैजान की दमजिली गुफा से मिली यह 8,400 साल पुरानी बलुआ पत्थर की मूर्ति दक्षिण कॉकस क्षेत्र में अब तक की सबसे प्राचीन त्रि-आयामी मानव आकृति है। Archaeological Research in Asia (2025) के अनुसार, कुरा नदी घाटी सहित पूरे क्षेत्र में ऐसी कोई मूर्ति नहीं मिली है। इससे पता चलता है कि मेसोलिथिक काल में प्रतीकात्मक सोच कहीं अधिक गहराई से विकसित थी।
2. यह मूर्ति नवपाषाण कला से कितनी अलग है?
यह आकृति न तो नारी रूपी है और न ही स्पष्ट लिंग चिह्नों वाली। इसके बजाय, इसमें छोटे बालों जैसे रेखाएं, पट्टियाँ और वस्त्र जैसे संकेत हैं। यह नवपाषाण काल की उर्वरता देवी जैसी मूर्तियों से एकदम अलग प्रतीत होती है। इससे स्पष्ट है कि मेसोलिथिक युग के लोग प्रतीकों के माध्यम से मानवीय पहचान और सोच को दर्शाने के अलग दृष्टिकोण रखते थे।

3. इस मूर्ति को कैसे प्रमाणित किया गया?
मूर्ति राख और मिट्टी की 8,000 साल पुरानी परतों के नीचे मिली, जिसने उसे सुरक्षित रखा। जापान में किए गए X-ray fluorescence और स्कैनिंग इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी परीक्षणों से पता चला कि इसे मेसोलिथिक उपकरणों से गढ़ा गया था। हालांकि उस पर लौह ऑक्साइड की लाल परत मिली, लेकिन रंग के कोई निशान नहीं थे। इससे मूर्ति की प्रामाणिकता और उसकी सांस्कृतिक महत्ता सिद्ध होती है।
4. किसने की खोज और किनका रहा सहयोग?
यह मूर्ति अज़रबैजान राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी की शोधकर्ता उल्विया सफरोवा ने खोजी। यह खुदाई 2016 से 2023 के बीच जापानी और अज़रबैजानी पुरातत्वविदों के सहयोग से हुई। परियोजना प्रमुख डॉ. यागुब माम्मदोव ने बताया कि यह साझेदारी विश्वभर के वैज्ञानिकों के सहयोग से सांस्कृतिक धरोहर की समझ को और समृद्ध करती है। यह अंतरराष्ट्रीय सहयोग ऐतिहासिक अनुसंधान का एक बेहतरीन उदाहरण है।
5. यह खोज प्रतीकात्मक संस्कृति के विकास को कैसे समझाती है?
यह मूर्ति “स्टेजिंग हाइपोथेसिस” का समर्थन करती है, जिसके अनुसार नवपाषाण विशेषताएँ—जैसे प्रतीकात्मक सोच और कृषि—एक साथ नहीं बल्कि क्रमिक रूप से विकसित हुईं। यह सिद्ध करता है कि मेसोलिथिक समाजों में भी सांस्कृतिक परिष्कार मौजूद था, जो बाद के नवपाषाण युग की कलाओं से स्पष्ट रूप से भिन्न था। इससे प्रतीकों की जड़ों को और गहराई से समझने का अवसर मिलता है।
6. यह कहानी क्यों पढ़ना जरूरी है?
दमजिली गुफा की यह खोज केवल एक प्राचीन मूर्ति नहीं, बल्कि मानव अभिव्यक्ति के इतिहास में एक निर्णायक मोड़ है। प्रमाणिक प्रयोगों, वैज्ञानिक परीक्षणों और वैश्विक सहयोग से पुष्टि की गई यह कहानी हमें यह सिखाती है कि प्रतीकात्मक सोच कृषि और लेखन से पहले ही मानव चेतना का हिस्सा थी। यह अतीत की एक अद्भुत खिड़की है, जो वर्तमान की सोच को समृद्ध बनाती है।
यह लेख मूल रूप से साइंसडायरेक्ट (ScienceDirect) में प्रकाशित हुआ था।
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