पेरिस के प्राचीन मिस्र के ओबेलिस्क में छिपे हैं रामेसेस द्वितीय के गुप्त संदेश • Egyptian Obelisk

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पेरिस के लक्ज़र ओबेलिस्क (Egyptian Obelisk) पर डिकोड किए गए नए क्रिप्टोग्राफिक चित्रलिपि रामेसेस द्वितीय के गौरवशाली प्रचार को उजागर करते हैं। जानिए कैसे दिशा-आधारित संदेशों ने सदियों तक दिव्यता को जीवित रखा।

SEO लेख अवलोकन (30 शब्द):
फ्रांसीसी मिस्रविज्ञानी जीन-गिलॉम ओलेट-पेलेटियर ने पेरिस के 3,300 साल पुराने लक्ज़र ओबेलिस्क पर सात गुप्त चित्रलिपियों को डिकोड किया, जो रामेसेस द्वितीय की दिव्य विरासत को अमर करती हैं।

एक 3,300 साल पुराना मिस्र का ओबेलिस्क पेरिस के दिल में कैसे पहुँचा?

1836 में, लक्ज़र मंदिर से 23 मीटर ऊँचा लाल ग्रेनाइट का ओबेलिस्क पेरिस के प्लेस दे ला कॉनकॉर्ड में लाया गया। इसे उस समय के ओटोमन साम्राज्य ने फ्रांस को एक राजनयिक उपहार के रूप में भेंट किया था। 250 टन वजनी यह ओबेलिस्क आधुनिक क्रेनों के आने से बहुत पहले का है और रामेसेस द्वितीय की वास्तुशिल्प प्रतिभा का प्रतीक है। लेकिन 2025 में डॉ. ओलेट-पेलेटियर की खोज ने इसकी सतही सजावट से कहीं गहरी कहानी उजागर की है।

ये गुप्त संदेश भावनात्मक और ऐतिहासिक रूप से इतने महत्वपूर्ण क्यों हैं?

मई 2025 में डॉ. ओलेट-पेलेटियर ने बताया कि ओबेलिस्क पर सात गुप्त चित्रलिपियाँ विशिष्ट कोणों पर उकेरी गई थीं। इन संदेशों में रामेसेस द्वितीय को देवताओं द्वारा चयनित और अमर जीवन वाला शासक बताया गया है। “त्रि-आयामी क्रिप्टोग्राफी” नामक तकनीक के तहत, प्रत्येक संदेश का अर्थ देखने के कोण के अनुसार बदलता है। यह खोज ओबेलिस्क को एक धार्मिक प्रतीक से वैचारिक हथियार में बदल देती है।

📌 त्वरित तथ्य बॉक्स (Quick Fact Box)

तथ्य विवरण
खोज की तिथि 2021 (जनता को जानकारी मई 2025 में)
स्थान प्लेस दे ला कॉनकॉर्ड, पेरिस
मूल स्थान लक्ज़र मंदिर, मिस्र
निर्माणकर्ता फ़राओ रामेसेस द्वितीय (1279–1213 ई.पू.)
चित्रलिपि प्रकार क्रिप्टो-हायरोग्लिफ़ (3D दिशात्मक कोड)
खोजकर्ता डॉ. जीन-गिलॉम ओलेट-पेलेटियर
ओबेलिस्क की ऊँचाई 23 मीटर

क्या ये शिलालेख पुरातात्विक खोज में क्रांतिकारी हैं?

इन चित्रलिपियों में दोहरे अर्थ छिपे हैं। एक ओर से देखने पर जहाँ यह रामेसेस द्वितीय का सिंहासन नाम दर्शाते हैं, वहीं दूसरी दिशा में अमर जीवन की घोषणा करते हैं। एक चित्र में देवता अमुन के नीचे एक अर्पण वेदी छिपी है, जिससे पहले अपूर्ण माने गए वाक्य पूरे हो जाते हैं। यह पुष्टि करता है कि ओबेलिस्क केवल स्थापत्य चमत्कार नहीं, बल्कि एक गूढ़ धार्मिक उपकरण था।

क्या यह खोज मिस्र की शक्ति की हमारी समझ को बदल सकती है?

बिलकुल—और बहुत गहराई से। यह ओबेलिस्क दिखाता है कि मिस्र की प्राचीन प्रचार प्रणाली केवल जनसामान्य के लिए नहीं थी, बल्कि कुलीन वर्ग के लिए गुप्त रूप से रची गई थी। केवल वही लोग जो क्रिप्टोग्राफी और कोणीय पठन समझते थे, वे इन दिव्य संदेशों को समझ सकते थे। यह भावनात्मक रूप से झकझोरने वाली बात है—यह ओबेलिस्क सभी के लिए नहीं, बल्कि चुने हुए लोगों के लिए था।

सदियों की अनदेखी के बाद यह खोज कैसे हुई?

2021 में ओलंपिक की तैयारी में लगाए गए मचान ने डॉ. ओलेट-पेलेटियर को ओबेलिस्क के ऊपरी हिस्सों तक पहुँचने का दुर्लभ अवसर दिया। अनुमतियों के बाद, उन्होंने चित्रलिपियों का 45 डिग्री कोण पर अध्ययन किया। दिशा आधारित पठन के ज़रिये उन्होंने सात गुप्त संदेशों को डिकोड किया। उन्होंने प्रेस से कहा, “यह पत्थरों में उकेरा गया प्रचार है, जिसे केवल कुछ ही लोग देख सकते थे।”

विशेषज्ञ इस पुनः खोजे गए प्रचार उपकरण के बारे में क्या कहते हैं?

“यहाँ एक अर्पण है जहाँ कोई भी तत्व अनुपस्थित नहीं है,” डॉ. ओलेट-पेलेटियर कहते हैं, जब वे अमुन के नीचे की एक चित्रलिपि की ओर इशारा करते हैं। “यह राजा की ओर से देवता को दिया गया पवित्र अर्पण है।” कई मिस्रविज्ञानी इसे हाल की सबसे रोमांचक खोजों में से एक मानते हैं। यह दृश्य कला, धर्मशास्त्र और राज्यशक्ति के बीच गहरा संबंध उजागर करता है।

यह कहानी क्यों पढ़ना ज़रूरी है

यह सिर्फ एक ऐतिहासिक किस्सा नहीं, बल्कि राज्यशक्ति, गुप्त कोडों और दिव्य कहानी कहने की एक पुनर्खोज है—जो आज भी आधुनिक शहरों में गूंजती है।

अगर प्राचीन प्रचार 3,000 साल तक जीवित रह सकता है, तो सोचिए हमारे आधुनिक स्मारक क्या कहानियाँ छिपा रहे हैं। इस लेख को साझा करें और इतिहास को ज़िंदा रखें—एक पत्थर से शुरुआत करें।

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यह शोध आलेख मूल रूप से नीलोटिक और भूमध्यसागरीय मिस्र में प्रकाशित होने की प्रतीक्षा में है।

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An educator for over 14 years with a background in science, technology, and geography, I simplify complex social topics with clarity and curiosity. Crisp, clear, and engaging writing is my craft—making knowledge accessible and enjoyable for all.

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