उत्तर कर्नाटक में कृष्णा नदी सूखने से कृषि और जल संकट • Drought Hits Krishna River
26 अप्रैल 2025 को कृष्णा नदी के सूखने (Drought Hits Krishna River) से उत्तर कर्नाटक में गंभीर सूखे की स्थिति उत्पन्न हुई, जिससे कृषि और पेयजल आपूर्ति पर गहरा प्रभाव पड़ा है।
1. 2025 में कृष्णा नदी सामान्य से पहले क्यों सूख रही है?
26 अप्रैल 2025 तक रिपोर्टों ने पुष्टि की कि कृष्णा नदी सामान्य से पहले सूखने लगी है। जलवायु परिवर्तन, वर्षा में गिरावट और तापमान वृद्धि ने सूखे की गति बढ़ा दी है। नदी के बेसिन में 75.86% क्षेत्र कृषि के लिए उपयोग होता है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि तत्काल समाधान नहीं हुआ, तो पानी की किल्लत और खाद्यान्न संकट और बढ़ सकता है।
2. कृषि और पेयजल आपूर्ति में कृष्णा नदी का क्या महत्व है?
करीब 1,400 किलोमीटर लंबी कृष्णा नदी दक्षिण और पश्चिम भारत की कृषि और पेयजल आपूर्ति के लिए जीवनरेखा है। उत्तर कर्नाटक में इसकी मदद से लगभग 76% खेती होती है। 2025 के सूखे के दौरान पानी की कमी से क्षेत्रीय फसल उत्पादन में संभावित 30% गिरावट की आशंका जताई गई है, जिससे खाद्य सुरक्षा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर पड़ेगा।
3. कल्याण कर्नाटक सूखे की स्थिति में किस तरह प्रभावित हुआ है?
कल्याण कर्नाटक क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित हुआ है। अप्रैल 2025 तक स्थानीय सर्वेक्षणों में 45% से अधिक किसानों ने फसल पूरी तरह बर्बाद होने की सूचना दी। सरकार द्वारा पीने के पानी की आपूर्ति तो की जा रही है, लेकिन कृषि क्षेत्र में आपदा जैसी स्थिति बन गई है। विशेषज्ञ त्वरित सरकारी सहायता और पुनर्वास योजनाओं की आवश्यकता पर जोर दे रहे हैं।
4. कृष्णा नदी के सूखे पर कर्नाटक सरकार ने क्या कदम उठाए हैं?
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने महाराष्ट्र से 2 टीएमसीएफटी कोयना और 1 टीएमसीएफटी वारणा जलाशयों से पानी छोड़ने का अनुरोध किया है। हालांकि, अप्रैल 2025 के अंत तक महाराष्ट्र ने कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं दी थी। आलोचकों का कहना है कि पत्राचार से अधिक जमीनी स्तर पर राहत कार्यों, जैसे बीमा भुगतान और पानी के टैंकरों की आपूर्ति, में तेजी लानी चाहिए।
5. कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच जल साझा करने का ऐतिहासिक समझौता क्या है?
2004 से कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच एक जल-साझा समझौता लागू है, जिसके तहत महाराष्ट्र सूखे के समय पानी छोड़ता है और कर्नाटक बाद में इसकी भरपाई करता है। 2022 की ऑडिट रिपोर्ट में देरी और लागत बढ़ने की शिकायतें सामने आई थीं। 2025 के संकट ने इस समझौते को प्रभावी और समयबद्ध तरीके से लागू करने की जरूरत को फिर उजागर किया है।
6. कृष्णा नदी की पारिस्थितिकीय समस्याएँ क्या हैं?
कृष्णा नदी मानसून के दौरान मिट्टी कटाव से प्रभावित होती है, जिससे इसकी पारिस्थितिकी को नुकसान पहुंचता है। सूखा आने से जलीय जीवन प्रभावित होता है और जैव विविधता घटती है। हालिया विश्लेषण बताते हैं कि अगर अनियंत्रित दोहन जारी रहा तो अगले दशक में नदी का बेसिन क्षेत्र लगभग 20% तक सिकुड़ सकता है, जिससे लाखों लोगों का जीवन प्रभावित होगा।
7. भविष्य में कृष्णा नदी पर जलवायु परिवर्तन का क्या प्रभाव पड़ सकता है?
पूर्वानुमानों के अनुसार 2050 तक कृष्णा बेसिन क्षेत्र का औसत तापमान 2.5°C तक बढ़ सकता है, जिससे सूखे की घटनाएँ और भी आम हो जाएंगी। अप्रैल 2025 में नदी का जल्दी सूखना इसी प्रवृत्ति का संकेत है। विशेषज्ञ राज्यों के बीच सहयोग, सतत कृषि तकनीक और जल संरक्षण ढांचे पर निवेश को बेहद जरूरी मानते हैं।
8. इस कहानी को पढ़ना क्यों जरूरी है?
कृष्णा नदी का सूखा हमें जलवायु परिवर्तन, कृषि संकट और नीति-निर्माण की गहरी कड़ी को समझने का अवसर देता है, जो जल संसाधनों के संरक्षण के लिए आवश्यक सबक प्रदान करता है।
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