क्या प्राचीन मिस्रवासियों ने मिल्की वे को ताबूतों और कब्रों में दर्शाया था? • Ancient Egyptians Map Milky Way

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2025 की एक ऐतिहासिक खोज यह प्रस्तावित करती है कि प्राचीन मिस्री अंतिम संस्कार कला में मिल्की वे का चित्रण किया गया है (Ancient Egyptians Map Milky Way), जिससे उनके ब्रह्मांडीय दृष्टिकोण और देवी नट की चित्रण शैली को नया रूप मिलता है।

1. इस ऐतिहासिक अध्ययन की शुरुआत कैसे हुई?
30 अप्रैल 2025 को यूनिवर्सिटी ऑफ पोर्ट्समाउथ, यूके के डॉ. ओर ग्रॉर ने Journal of Astronomical History and Heritage में एक शोध प्रकाशित किया जिसमें उन्होंने सुझाव दिया कि मिस्र के ताबूतों पर मिल्की वे का चित्रण है। उन्होंने 555 प्राचीन ताबूतों में से 125 चित्रों का विश्लेषण किया और देवी नट के शरीर पर एक लहरदार काली रेखा पाई, जो मिल्की वे की “ग्रेट रिफ्ट” से मेल खाती है। यह निष्कर्ष प्रामाणिक फोटोग्राफ़िक तुलना से सत्यापित हुआ है।

2. देवी नट इस खगोलीय रहस्य में कैसे जुड़ी हैं?
प्राचीन मिस्र की देवी नट को नग्न, तारों से ढके शरीर के साथ पृथ्वी के देवता गेब के ऊपर झुकी हुई दिखाया जाता है। वह हर शाम सूर्य को निगलती हैं और हर सुबह जन्म देती हैं—यह जीवन और मृत्यु के चक्र को दर्शाता है। अध्ययन में मिले चित्रों में से 25% में नट का तारा-संवृत शरीर दिखता है, जो दर्शाता है कि वह आकाशीय प्रतीक थीं और शायद उनके माध्यम से मिल्की वे को दर्शाया गया।

3. क्या ऐसी लहरदार आकृतियाँ अन्य कब्रों में भी मिली हैं?
डॉ. ग्रॉर ने रामेसेस IV, VI, IX और सेती I की कब्रों की छतों में भी ऐसी काली लहरदार रेखाएँ पाईं। ये रेखाएँ Book of Day and Night जैसी पांडुलिपियों में खगोलीय दृश्यों को विभाजित करती हैं। इन कब्रों में समान पैटर्न मिलने से यह सिद्धांत और मजबूत होता है कि यह केवल सजावटी नहीं, बल्कि जानबूझकर किया गया खगोलीय चित्रण था। यह निष्कर्ष विभिन्न स्थलों और युगों में कला की तुलना से सत्यापित हुआ है।

त्वरित तथ्य बॉक्स: प्राचीन मिस्र और मिल्की वे सिद्धांत

तत्व विवरण
शोध प्रकाशित 30 अप्रैल 2025
शोधकर्ता डॉ. ओर ग्रॉर, यूनिवर्सिटी ऑफ पोर्ट्समाउथ
अध्ययन किए गए ताबूत चित्र 555 में से 125
केंद्रित राजवंश 21वां और 22वां (~3000 वर्ष पूर्व)
पहचानी गई विशेषता लहरदार काली रेखा (मिल्की वे?)
पौराणिक केंद्र बिंदु देवी नट

4. क्या प्राचीन मिस्रवासियों ने मिल्की वे को दिशा सूचक के रूप में देखा?
डॉ. ग्रॉर के 2024 के शोध में उन्होंने Pyramid Texts और Coffin Texts में मिल्की वे का उल्लेख देखा, जिससे पता चला कि नट के हाथ और रीढ़ को आकाश में मौसमों के अनुसार ढूंढा जाता था। यह दर्शाता है कि प्राचीन मिस्रवासी खगोलशास्त्र को आस्था से जोड़ते थे और उनके चित्रण केवल प्रतीकात्मक नहीं, व्यावहारिक भी थे। यह सिद्धांत सांस्कृतिक रूप से उन्नत ब्रह्मांडीय दृष्टिकोण का प्रमाण है।

5. क्या अन्य संस्कृतियों में भी मिल्की वे इसी प्रकार चित्रित की गई?
नवाजो, होपी और ज़ूनी जैसे अमेरिका के स्वदेशी समुदायों में भी मिल्की वे को लहरदार आकृति के रूप में दर्शाया गया है। यह सांस्कृतिक समानता दर्शाती है कि मनुष्य ने प्राचीन समय से ही आकाशगंगा को धर्म और संस्कृति में चित्रित करने का प्रयास किया। डॉ. ग्रॉर की यह तुलनात्मक खोज यह दर्शाती है कि खगोलीय प्रतीकों का वैश्विक प्रभाव रहा है और मिस्र भी इस साझे दृष्टिकोण का भाग था।

इस कहानी को पढ़ना क्यों जरूरी है
यह शोध प्राचीन मिस्री कला की व्याख्या को एक नई दिशा देता है—जिसमें चित्रकला, खगोलशास्त्र और संस्कृति आपस में जुड़ते हैं। यह हमारी ऐतिहासिक समझ को समृद्ध करता है।

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यह आलेख मूलतः जर्नल ऑफ एस्ट्रोनॉमिकल हिस्ट्री एंड हेरिटेज में प्रकाशित हुआ था।

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An educator for over 14 years with a background in science, technology, and geography, I simplify complex social topics with clarity and curiosity. Crisp, clear, and engaging writing is my craft—making knowledge accessible and enjoyable for all.

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