अक्षय तृतीया की अदभुत 6 बाते • Akshaya Tritiya 2025
अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) 2025 का शुभ दिन 30 अप्रैल को मनाया जाएगा। यह पर्व वेदों, ज्योतिषीय योग और सांस्कृतिक परंपराओं में विशेष महत्व रखता है, आर्थिक और धार्मिक रूप से अत्यंत फलदायक माना गया है।
1. वेदों में अक्षय तृतीया का उल्लेख क्यों महत्वपूर्ण है?
ऋग्वेद, विष्णु पुराण और नारद पुराण जैसे ग्रंथों में अक्षय तृतीया को शुभ मुहूर्त बताया गया है। यह वह दिन है जब त्रेतायुग का आरंभ हुआ था और सतयुग समाप्त हुआ। “अक्षय” शब्द का अर्थ है — जिसका क्षय न हो। वैदिक परंपरा में इस दिन को बिना पंचांग देखे किसी भी शुभ कार्य जैसे विवाह, खरीदारी या दान के लिए उपयुक्त माना गया है।
2. अक्षय तृतीया 2025 में कब मनाई जाएगी और क्या है इसकी सामयिक प्रासंगिकता?
वर्ष 2025 में अक्षय तृतीया 30 अप्रैल को मनाई जाएगी, जब वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि होगी। यह पर्व धार्मिक ही नहीं, आर्थिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। 2024 में भारत में इस दिन करीब ₹12,000 करोड़ की खरीदारी हुई थी, और 2025 में यह आंकड़ा ₹15,000 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है, जो इसकी बढ़ती लोकप्रियता को दर्शाता है।
3. इस दिन सूर्य और चंद्रमा का क्या विशेष योग बनता है?
अक्षय तृतीया के दिन सूर्य मेष और चंद्रमा वृषभ राशि में होते हैं, जो दोनों की उच्च राशियाँ मानी जाती हैं। यह अद्वितीय ज्योतिषीय संयोग वर्ष में केवल एक बार आता है। 2025 में यह योग सुबह 6:15 बजे से शाम 3:22 बजे तक रहेगा। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, यह योग संपत्ति निवेश, विवाह और नई शुरुआतों के लिए सर्वोत्तम माना गया है।
4. धार्मिक मान्यताओं में अक्षय तृतीया का क्या स्थान है?
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, अक्षय तृतीया के दिन भगवान परशुराम का जन्म हुआ था, भगवान विष्णु ने नर-नारायण रूप में अवतार लिया और श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को अक्षय पात्र प्रदान किया था। बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम के कपाट भी इसी दिन खुलते हैं। यह पर्व आध्यात्मिक रूप से नवसंकल्प, शुद्धि और पुनरारंभ का प्रतीक माना जाता है।
5. सोना और निवेश के लिए यह दिन इतना लोकप्रिय क्यों है?
अक्षय तृतीया को सोने की खरीद का सबसे शुभ दिन माना जाता है। 2023 में, भारत में लगभग 21 टन सोने की बिक्री इस दिन हुई थी (World Gold Council)। इसका कारण यह है कि इस दिन खरीदी गई वस्तुएँ “अक्षय” अर्थात् स्थायी फलदायक मानी जाती हैं। व्यापारियों और निवेशकों के लिए यह दिन नए सौदों की शुरुआत करने के लिए भी अत्यंत लाभकारी है।
6. सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से अक्षय तृतीया का क्या योगदान है?
इस दिन भारत भर में दान-पुण्य, जल वितरण, अनाज दान और धार्मिक आयोजनों की परंपरा है। NGOs और धार्मिक संस्थाएँ इस दिन विशेष कैंप लगाती हैं। 2022 में अकेले उत्तर प्रदेश में 1.8 लाख लोगों ने सामूहिक अन्नदान में भाग लिया। यह पर्व सामाजिक समरसता, दया और आत्मविकास का संदेश देता है और समाज में परोपकार की भावना को बढ़ाता है।
7. यह लेख क्यों पढ़ना ज़रूरी है?
अक्षय तृतीया 2025 केवल एक पर्व नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, ज्योतिष, और अर्थव्यवस्था का अनोखा संगम है। यह लेख प्रामाणिक स्रोतों के माध्यम से आपको इसके वेदों में उल्लेख, पौराणिक कथाएँ, ज्योतिषीय महत्व और समकालीन आर्थिक प्रभावों से अवगत कराता है। यदि आप इस पर्व के बहुआयामी महत्व को समझना चाहते हैं, तो यह लेख आपके लिए एक आवश्यक संदर्भ है।
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