फ्लैश फ्लड • Flash Floods
फ्लैश फ्लड क्या होता है?
फ्लैश फ्लड (Flash Floods) एक अत्यंत तीव्र और अचानक आने वाली बाढ़ होती है, जो भारी वर्षा, बादल फटने, बर्फ पिघलने या किसी बांध के टूटने से उत्पन्न होती है। यह बाढ़ सामान्यतः कुछ ही घंटों में विकसित हो जाती है और अत्यधिक विनाशकारी होती है। यह विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों, पहाड़ी इलाकों और सूखी नदी घाटियों में अधिक खतरनाक होती है। भारत में जुलाई 2023 में हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में आई फ्लैश फ्लड ने जान-माल का भारी नुकसान किया। फ्लैश फ्लड की चेतावनी समय रहते देना कठिन होता है, जिससे इसका प्रभाव अधिक गंभीर हो जाता है। यह जलवायु परिवर्तन से जुड़ी प्राकृतिक आपदाओं में एक प्रमुख खतरा बन चुका है।
फ्लैश फ्लड कैसे उत्पन्न होता है?
फ्लैश फ्लड तब उत्पन्न होता है जब थोड़े समय में अत्यधिक वर्षा किसी क्षेत्र में जल का स्तर तेज़ी से बढ़ा देती है। शहरी क्षेत्रों में खराब जल निकासी प्रणाली और कंक्रीट निर्माण जल के प्रवाह को अवरुद्ध करते हैं, जिससे फ्लैश फ्लड की आशंका बढ़ जाती है। पहाड़ी इलाकों में अत्यधिक वर्षा से भूस्खलन और नदियों का मार्ग बदल सकता है, जो बाढ़ को और खतरनाक बना देता है। भारत में मानसून के दौरान और पश्चिमी हिमालयी क्षेत्रों में यह समस्या अधिक देखी जाती है। इसके अलावा, जलवायु परिवर्तन से वर्षा की तीव्रता और अस्थिरता बढ़ रही है, जिससे फ्लैश फ्लड की आवृत्ति और तीव्रता में इजाफा हो रहा है।
फ्लैश फ्लड से होने वाले प्रभाव और समाधान क्या हैं?
फ्लैश फ्लड से जानमाल, कृषि भूमि, सड़कें, पुल, और इन्फ्रास्ट्रक्चर को भारी नुकसान होता है। 2022 में पाकिस्तान में आई फ्लैश फ्लड ने 1,700 से अधिक लोगों की जान ली और 3 करोड़ से अधिक लोगों को प्रभावित किया। इसका सबसे अधिक प्रभाव गरीब और पहाड़ी क्षेत्रों की आबादी पर पड़ता है, जिनके पास राहत और बचाव के सीमित साधन होते हैं। समाधान के लिए सटीक मौसम पूर्वानुमान, प्रभावी जल निकासी प्रणाली, अर्ली वॉर्निंग सिस्टम और आपदा प्रबंधन की तैयारी ज़रूरी है। भारत सरकार और राज्य सरकारें NDMA जैसी एजेंसियों के माध्यम से बाढ़ जोखिम न्यूनीकरण पर कार्य कर रही हैं, लेकिन स्थानीय भागीदारी भी उतनी ही आवश्यक है।
2025 में जम्मू-कश्मीर में फ्लैश फ्लड की घटना
अप्रैल 2025 में जम्मू-कश्मीर के डोडा और अनंतनाग जिलों में अचानक आई फ्लैश फ्लड ने व्यापक तबाही मचाई। लगातार भारी वर्षा और बर्फबारी के कारण नालों व छोटी नदियों में जलस्तर तेजी से बढ़ा, जिससे कई गाँवों में पानी घुस गया। डोडा जिले में 7 लोगों की मौत हुई, जबकि 30 से अधिक परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया। अमरनाथ यात्रा मार्ग पर भी अस्थायी शिविरों को नुकसान पहुँचा। प्रशासन और NDRF की टीमों ने तत्काल बचाव कार्य शुरू किया। विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन और अनियंत्रित निर्माण कार्य इस क्षेत्र में फ्लैश फ्लड की तीव्रता को बढ़ा रहे हैं। यह घटना बताती है कि पर्वतीय क्षेत्रों में पूर्व चेतावनी और जल प्रबंधन प्रणाली को और सुदृढ़ करने की आवश्यकता है।
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