कौन थे पोप फ्राँसिस? • Pope Francis Death
वे कौन थे?
पोप फ्राँसिस (Pope Francis), जिनका असली नाम जोर्ज मारियो बेर्गोलियो था, रोमन कैथोलिक चर्च के 266वें पोप थे। वे 13 मार्च 2013 को पोप चुने गए और पहले लैटिन अमेरिकी तथा पहले येसुइट पंथ के पोप बने। अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स से आने वाले पोप फ्राँसिस अपनी सादगी, सामाजिक न्याय के प्रति प्रतिबद्धता और जलवायु परिवर्तन जैसे वैश्विक मुद्दों पर सक्रियता के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने LGBTQ+ समुदाय, प्रवासियों और गरीबों के अधिकारों की भी पैरवी की। पोप का पद कैथोलिक विश्व में सर्वोच्च धार्मिक नेतृत्व माना जाता है, और वे वैश्विक ईसाई समुदाय के नैतिक दिशा-निर्देशक होते हैं।
उनके पास क्या शक्ति थी?
पोप फ्राँसिस कैथोलिक चर्च के सर्वोच्च आध्यात्मिक नेता थे, जिनके पास धार्मिक, नैतिक और प्रशासनिक मामलों में अंतिम निर्णय लेने की शक्ति थी। वे वेटिकन सिटी स्टेट के प्रमुख भी थे, जो एक स्वतंत्र राष्ट्र है। पोप “Ex Cathedra” वक्तव्यों के ज़रिये अचूक धार्मिक घोषणाएं कर सकते हैं, जिन्हें सम्पूर्ण चर्च में मान्यता प्राप्त होती है। उनके अधीन 1.3 अरब कैथोलिक अनुयायी आते हैं। साथ ही, वे विश्व भर में बिशपों की नियुक्ति, धर्मशास्त्रीय दिशा, और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नैतिक-राजनैतिक बहसों में प्रभावशाली भूमिका निभाते हैं। पोप की शक्ति आध्यात्मिक से परे जाकर सांस्कृतिक और राजनैतिक प्रभाव भी रखती है।
उनकी मृत्यु और US VP JD Vance से मुलाकात पर साजिश सिद्धांत क्या है?
पोप फ्राँसिस का निधन 21 अप्रैल 2025 को वेटिकन सिटी में उनके निवास स्थान डोमस सांक्टे मार्थे में हुआ। उनकी मृत्यु के एक दिन पहले, 20 अप्रैल 2025 को, उन्होंने अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस से मुलाकात की थी। इस मुलाकात के तुरंत बाद उनकी मृत्यु होने से कुछ लोगों ने साजिश सिद्धांतों को जन्म दिया, जिसमें यह सुझाव दिया गया कि उनकी मृत्यु सामान्य नहीं थी। हालांकि, वेटिकन ने उनकी मृत्यु का कारण स्वास्थ्य समस्याओं को बताया है, और इन साजिश सिद्धांतों का कोई ठोस प्रमाण नहीं है। यह घटना दिखाती है कि उच्च-स्तरीय नेताओं की मृत्यु के बाद अफवाहें और अटकलें कैसे फैल सकती हैं।
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