हीटवेव और हीट स्ट्रोक क्या है ? • Heat Wave & Heat Stroke
1. हीटवेव क्या है?
हीटवेव (Heat Wave) एक प्राकृतिक मौसमीय घटना है, जब किसी क्षेत्र में तापमान सामान्य से काफी अधिक हो जाता है। भारत में Indian Meteorological Department (IMD) के अनुसार, यदि मैदानी इलाकों में तापमान 40°C या उससे अधिक हो जाए और यह स्थिति कम से कम दो दिनों तक बनी रहे, तो उसे हीटवेव कहा जाता है। पहाड़ी क्षेत्रों में यह सीमा 30°C और तटीय क्षेत्रों में 37°C मानी जाती है। तापमान में ±4.5°C का उतार-चढ़ाव स्वीकार्य होता है। हीटवेव का असर बुजुर्गों, बच्चों और बीमार व्यक्तियों पर सबसे ज्यादा पड़ता है और यह सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन सकता है।
2. हीट स्ट्रोक कैसे होता है?
हीट स्ट्रोक (Heat Stroke) एक खतरनाक चिकित्सा स्थिति है जो तब होती है जब शरीर का आंतरिक तापमान 40°C से अधिक पहुंच जाता है और शरीर खुद को ठंडा नहीं कर पाता। यह मुख्यतः लंबे समय तक गर्मी में रहने, ज्यादा पसीना आने और पर्याप्त जल न पीने के कारण होता है। शरीर का तापमान नियंत्रित रखने की प्रणाली विफल हो जाती है जिससे मस्तिष्क, किडनी और अन्य अंगों को नुकसान हो सकता है। इसके लक्षणों में तेज सिरदर्द, चक्कर, उल्टी, तेज़ नाड़ी और बेहोशी शामिल हैं। इलाज न मिलने पर हीट स्ट्रोक जानलेवा साबित हो सकता है, इसलिए यह मेडिकल इमरजेंसी मानी जाती है।
3. भारत में हीटवेव क्यों बढ़ रही है और इसका क्लाइमेट चेंज से क्या संबंध है?
भारत जैसे उष्णकटिबंधीय देश में हीटवेव की घटनाएं जलवायु परिवर्तन के कारण लगातार बढ़ रही हैं। ग्लोबल वॉर्मिंग के चलते औसत तापमान में वृद्धि हो रही है, जिससे हीटवेव अधिक तीव्र और लंबे समय तक चलने लगी हैं। शहरीकरण, पेड़ों की कटाई, और जमीन की गर्मी को रोकने वाले कारकों की कमी भी इसमें योगदान देते हैं। IMD और अन्य जलवायु रिपोर्टों के अनुसार, भारत में हर दशक में हीटवेव की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। 2022 में दिल्ली और राजस्थान में तापमान 49°C तक पहुंच गया था। जलवायु परिवर्तन अब केवल वैश्विक मुद्दा नहीं रहा, बल्कि भारत की सार्वजनिक स्वास्थ्य और कृषि के लिए सीधा खतरा बन चुका है।
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