ट्रम्प: फ़ारस की खाड़ी अब अरब की खाड़ी है • Persian Gulf is Now Arabian Gulf

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अमेरिका ने पर्शियन गल्फ को अब अरेबियन गल्फ कहना शुरू किया है। (Persian Gulf is Now Arabian Gulf) इससे ईरान नाराज़ है, जबकि अरब देश खुश हैं। यह बदलाव रिश्ते बदल सकता है।

1. अमेरिका ने पर्शियन गल्फ का नाम अभी क्यों बदला?

2017 में डोनाल्ड ट्रंप की मध्य पूर्व यात्रा के दौरान अमेरिका ने आधिकारिक रूप से “अरेबियन गल्फ” शब्द का इस्तेमाल किया। यह महज़ संयोग नहीं था—सऊदी अरब, यूएई और बहरीन जैसे अरब सहयोगियों को खुश करने की यह कूटनीतिक चाल थी। $110 अरब के रक्षा सौदे दांव पर थे। ऐसे में नाम शब्द नहीं, हथियार बन गए।

2. पर्शियन गल्फ वास्तव में क्या है?

करीब 93,000 वर्ग मील में फैला पर्शियन गल्फ एक उथला सागर है, जो उत्तर में ईरान और दक्षिण में अरब देशों से घिरा है। इसमें टाइग्रिस, यूफ्रेटीज़ और कारून नदियाँ गिरती हैं। यह होरमुज़ जलडमरूमध्य से अरबी सागर से जुड़ता है। इस जलमार्ग से दुनिया के करीब 21% पेट्रोलियम तरल पदार्थ भेजे जाते हैं।

3. नाम बदलने को लेकर इतनी भावनाएं क्यों हैं?

“पर्शियन गल्फ” नाम 1700 के दशक से नक्शों में है और ईरानी पहचान से जुड़ा है। 2004 की यूएन रिपोर्ट ने इस नाम को फिर वैध बताया। लेकिन कई अरब देश इसे उपनिवेशवाद की निशानी मानते हैं। ईरान ने इसे राष्ट्रीय अस्मिता पर हमला बताया, विरोध प्रदर्शन किए और “अरेबियन गल्फ” कहने वाली एयरलाइनों को बैन की धमकी दी।

4. अरब देशों ने इस बदलाव पर क्या प्रतिक्रिया दी?

सऊदी अरब, यूएई और क़तर जैसे खाड़ी देश इस बदलाव से बेहद संतुष्ट हैं। उनके लिए “अरेबियन गल्फ” अपनी पहचान की पुनःस्थापना है। 1970 के दशक से ही उनकी पाठ्यपुस्तकों और मीडिया में यही नाम है। अरब लीग के करीब 8 सदस्य देशों ने इसे आधिकारिक दस्तावेज़ों में अपना लिया है। ये गर्व और राजनीति दोनों की कहानी है।

🔹 त्वरित तथ्य बॉक्स 🔹

  • अमेरिका द्वारा नया नाम: अरेबियन गल्फ
  • मूल नाम: पर्शियन गल्फ (18वीं सदी से प्रचलित)
  • कुल क्षेत्रफल: ~93,000 वर्ग मील
  • तेल परिवहन निर्भरता: ~21% वैश्विक आपूर्ति
  • पहली बार नाम बदलने की घटना: 2017, ट्रंप की मध्य पूर्व यात्रा
  • ईरान की प्रतिक्रिया: विरोध प्रदर्शन, राजनयिक नोट, विरोध दर्ज

5. इस बदलाव से अमेरिका-ईरान संबंधों पर क्या असर पड़ा?

ईरान ने इसे “रणनीतिक अपमान” कहा। उसने संयुक्त राष्ट्र में शिकायत की, साथ ही स्विस दूत को तलब किया (जो अमेरिका के हितों का प्रतिनिधित्व करता है)। पहले से तनावपूर्ण परमाणु करार और क्षेत्रीय टकरावों में यह आग में घी जैसा साबित हुआ। गैलप के 2017 सर्वे में 63% ईरानियों ने अमेरिकी विदेश नीति को “शत्रुतापूर्ण” बताया था—अब भावनाएं और तीखी हैं।

6. क्या नाम सिर्फ नाम होता है या ताकत का प्रतीक?

नामों में शक्ति होती है। अंतरराष्ट्रीय हाइड्रोग्राफिक संगठन (IHO) अब भी “पर्शियन गल्फ” ही कहता है, लेकिन अमेरिका और नाटो जैसे संगठन “अरेबियन गल्फ” का प्रयोग करते हैं। आप किस नाम का इस्तेमाल करते हैं, ये आपकी राजनीतिक स्थिति दिखाता है। “अरेबियन गल्फ” कहने का मतलब है—आप अरब देशों के साथ हैं। यहाँ भूगोल महज़ नक्शा नहीं, विचारधारा है।

7. विशेषज्ञ और आम लोग इस विवाद पर क्या कह रहे हैं?

“यह सिर्फ नक्शा नहीं, हमारी पहचान मिटाने की कोशिश है,” कहते हैं तेहरान विश्वविद्यालय के इतिहासकार डॉ. मेहरदाद शोकरी। वहीं अरब विदुषी लीना अल-शेख कहती हैं, “हम अपनी विरासत वापस ले रहे हैं।” अमेरिकी राजनयिक जॉन ब्रेनन बोले, “भाषा नीति को आकार देती है।” सोशल मीडिया पर #ItsPersianGulf और #ArabianGulfIsReal जैसे ट्रेंड्स ने विवाद को और उभारा।

इस कहानी को ज़रूरी क्यों पढ़ें
यह दिखाता है कैसे शब्द—सिर्फ शब्द—नक्शा बदल सकते हैं, देश रुला सकते हैं, और वैश्विक राजनीति को हिला सकते हैं।

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वैभव GeoPhotons.com के पीछे जिज्ञासु दिमाग हैं, जहाँ कहानियाँ जागरूकता पैदा करती हैं। प्रधान संपादक के रूप में, वे GeoPhotons की डिजिटल उपस्थिति को भी आकार देते हैं - वेबसाइट से लेकर YouTube और सोशल मीडिया तक - भूगोल और समसामयिक मामलों को स्पष्टता और उत्साह के साथ जीवंत करते हैं। भूगोल और विज्ञान विषयों में शिक्षण और कंटेंट क्रिएशन में एक दशक से अधिक के अनुभव के साथ, वैभव जटिल विचारों को आकर्षक कहानियों में बदल देते हैं। वह ओरिजिन्स, पृथ्वी, प्रेरणादायक और लोगों जैसी श्रेणियों को कवर करते हैं। उनका मिशन? अपने द्वारा लिखे गए हर शब्द के माध्यम से जागरूकता और आश्चर्य को जगाना। उन्हें सोशल मीडिया पर @VaibhavSpace पर पाया जा सकता है।

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