भारत की 2025 मत्स्य जनगणना कैसे बदलेगी समुद्री जीवन और संरक्षण का चेहरा • Marine Fisheries Census
भारत की पाँचवीं मत्स्य जनगणना अप्रैल 2025 में शुरू हुई, जो 3,500 गांवों और 12 लाख परिवारों को डिजिटल रूप से कवर करेगी। यह मत्स्य जीवन, अवसंरचना और समुद्री संरक्षण को सशक्त बनाएगी।
1. 2025 की मत्स्य जनगणना क्यों है ऐतिहासिक?
29 अप्रैल 2025 को मुंबई में केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह ने पाँचवीं मत्स्य जनगणना की शुरुआत की। यह पहली बार पूरी तरह डिजिटल होगी और 13 तटीय राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के 3,500 गांवों में 12 लाख परिवारों को कवर करेगी। पिछली जनगणनाएं 2005, 2010 और 2016 में मैन्युअल थीं। मत्स्य मंत्रालय द्वारा पुष्टि की गई यह पहल डेटा की गुणवत्ता और योजना निर्माण की पारदर्शिता को नई ऊंचाई देगी।
2. VyAS-NAV मोबाइल ऐप क्यों है इस जनगणना का तकनीकी आधार?
VyAS-NAV ऐप से मछली पकड़ने वाले गांवों, बंदरगाहों और लैंडिंग केंद्रों का वास्तविक समय में सत्यापन होगा। इससे डेटा संग्रहण में 80% तक तेजी आएगी। सरकार के तकनीकी दस्तावेज और प्रशिक्षण रिपोर्ट के अनुसार, सभी पर्यवेक्षकों को ऐप के उपयोग का प्रशिक्षण दिया गया है। GPS आधारित यह प्रणाली डेटा की सटीकता सुनिश्चित करती है और भू-स्थानिक मानचित्रण को सक्षम बनाती है।
3. जनगणना में कौन-कौन से आंकड़े एकत्र किए जाएंगे?
इस बार की जनगणना में मछुआरों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति, वैकल्पिक आजीविका, महिला भागीदारी और सरकारी योजनाओं तक पहुंच जैसे विस्तृत आंकड़े लिए जाएंगे। 2016 की रिपोर्ट में 38% मछुआरों को ही योजनाओं का लाभ मिला था। इस बार मछुआरों की जरूरतों को बेहतर समझने और योजनाओं की प्रभावशीलता बढ़ाने का लक्ष्य है, जिसे CMFRI और मत्स्य मंत्रालय द्वारा सत्यापित किया गया है।
4. मत्स्यपालकों को कैसे मिलेगा आर्थिक सुरक्षा कवच?
इस जनगणना के साथ भारत की पहली मत्स्य बीमा योजना भी लॉन्च की गई, जो प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह-योजना का हिस्सा है। शुरुआत में 1 लाख से अधिक मत्स्यपालकों को शामिल किया गया है। दो श्रेणियों—बेसिक और समग्र—के अंतर्गत प्राकृतिक आपदा, रोग और आय हानि को कवर किया गया है। NFDB द्वारा पुष्टि की गई यह योजना लघु मत्स्य किसानों के लिए आय सुरक्षा की नई दिशा है।
त्वरित तथ्य बॉक्स: भारत की 2025 मत्स्य जनगणना
तथ्य | विवरण |
---|---|
कवरेज | 3,500 गांव, 12 लाख परिवार |
शुरुआत | अप्रैल 2025 |
आंकड़े संग्रह की समयसीमा | मई–दिसंबर 2025 |
तकनीकी उपकरण | VyAS-NAV ऐप + GIS |
बीमा योजना लाभार्थी | 1 लाख+ मत्स्यपालक (प्रारंभिक) |
5. क्या यह जनगणना समुद्री संरक्षण में भी भूमिका निभाएगी?
सरकार ने टर्टल एक्सक्लूडर डिवाइस (TED) की गाइडलाइन जारी की, जो ट्रॉलर में पकड़ी जाने वाली समुद्री कछुओं को बचाने में सहायक होगी। भारत में हर साल लगभग 2,000 कछुओं की दुर्घटनावश मृत्यु होती है। अमेरिका में अनिवार्य यह उपकरण अब भारत में भी अपनाया जाएगा। WII और पर्यावरण संस्थाओं द्वारा पुष्टि की गई यह पहल सतत मछली पकड़ने के प्रयासों को आगे बढ़ाएगी।
6. कौन हैं इस जनगणना के मुख्य भागीदार?
10,000 से अधिक गणनाकार, जिनमें से अधिकांश स्थानीय मछुआरा समुदाय से हैं, इस प्रक्रिया में भाग लेंगे। राज्य मत्स्य विभाग और CMFRI के साथ प्रशिक्षण सत्र अप्रैल 2025 से शुरू हुए। स्थानीय भागीदारी से आंकड़ों की विश्वसनीयता 30% तक बढ़ने की पुष्टि मंत्रालय के डेटा से हुई है। इससे न केवल डेटा संग्रह बेहतर होगा बल्कि समुदाय की भागीदारी भी सुनिश्चित होगी।
7. अधिकारियों ने इस जनगणना पर क्या कहा?
केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह ने कहा, “यह डिजिटल जनगणना सिर्फ आंकड़े नहीं, बल्कि तटीय भारत को सशक्त करने का माध्यम है।” उन्होंने इसे योजना निर्माण, बीमा और संरक्षण नीतियों में क्रांति लाने वाला कदम बताया। यह उद्धरण अप्रैल 2025 में मुंबई में दिए गए उनके भाषण से लिया गया है और भारत सरकार के आधिकारिक दस्तावेजों से पुष्टि की गई है।
क्या बनाता है यह खबर पढ़ने योग्य?
भारत की 2025 मत्स्य जनगणना एक नया मील का पत्थर है, जो डिजिटल तकनीक, सामाजिक सुरक्षा और पारिस्थितिक संतुलन को साथ लाकर तटीय भारत को नई दिशा देगी।
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