यरुशलम में 1,500 साल पुरानी दुर्लभ पत्थर की कलाकृति मिली • 1500 Years Old Menorah Stone Capital

1. क्या खोजा गया और इसे कब सार्वजनिक किया गया?
यरुशलम में 29 अप्रैल 2025 को इज़राइल एंटीक्विटीज अथॉरिटी (IAA) ने 1,500 साल पुरानी चूना पत्थर की कलाकृति का अनावरण किया। इसमें चारों तरफ एक दुर्लभ आठ-शाखीय मेनोराह बनी है। यह खोज 2020 में मोटज़ा के पास एक पुरानी इमारत से हुई थी। यह खोज पूरी तरह IAA दस्तावेज़ों और हिब्रू यूनिवर्सिटी की प्रेस विज्ञप्तियों से सत्यापित है।

2. यह मेनोराह आकृति इतिहास में इतनी अनोखी क्यों है?
यह आठ-शाखीय मेनोराह है, जबकि उस काल में सात-शाखीय मेनोराह आम थीं। डॉ. ओरित पेलेग-बरकात के अनुसार, यह शैली पहले कभी किसी वास्तुशिल्प तत्व पर नहीं मिली। इस तरह की मेनोराह मंदिर की नहीं, बल्कि एक अलग परंपरा की प्रतीक हो सकती है, जो इसे ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यंत दुर्लभ बनाती है।
3. खुदाई की स्थितियों से कलाकृति की उत्पत्ति के बारे में क्या पता चला?
यह कलाकृति एक 6वीं–7वीं सदी की बाइज़न्टाइन इमारत में उल्टी अवस्था में मिली, जिससे स्पष्ट है कि इसे दोबारा उपयोग किया गया था। खुदाई निदेशकों के अनुसार यह पहले 2वीं–4वीं सदी की रोमन संरचना का हिस्सा रही होगी। उस क्षेत्र में रोमन सेना के सेवानिवृत्त सैनिक रहते थे, इसलिए यहूदी प्रतीक का वहाँ मिलना एक ऐतिहासिक पहेली है।
4. किन विशेषज्ञों ने इसमें भूमिका निभाई और उनके योगदान क्या हैं?
डॉ. उज़ी अद और अन्ना एरिच ने खुदाई का नेतृत्व किया, जबकि वास्तुशिल्प विश्लेषण डॉ. ओरित पेलेग-बरकात ने किया। विरासत मंत्री अमीचाई एलियाहु ने सांस्कृतिक महत्व को रेखांकित किया। इन विशेषज्ञों की भूमिका और निष्कर्षों की पुष्टि IAA और हिब्रू यूनिवर्सिटी द्वारा प्रकाशित रिपोर्टों से होती है।
त्वरित तथ्य बॉक्स:
🗓 खोज वर्ष: 2020
📍 स्थान: मोट्ज़ा, यरुशलम के पास
🔍 सार्वजनिक अनावरण: 29 अप्रैल 2025
🕎 विशेषता: चारों ओर आठ-शाखीय मेनोराह
🏛 काल: 2वीं–7वीं सदी (रोमन-बाइज़न्टाइन काल)
🔬 पुष्टि स्रोत: इज़राइल एंटीक्विटीज अथॉरिटी, हिब्रू यूनिवर्सिटी
5. यह खोज सांस्कृतिक और राजनीतिक रूप से क्यों महत्वपूर्ण है?
विरासत मंत्री अमीचाई एलियाहु के अनुसार, “यह मेनोराह यहूदियों और यरुशलम के बीच हजारों वर्षों के अटूट संबंध का प्रमाण है।” स्वतंत्रता दिवस पर इसका अनावरण यह संदेश देता है कि अतीत और वर्तमान एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हैं। यह राष्ट्रीय पहचान और सांस्कृतिक गर्व का प्रतीक बन चुका है।
6. इस पत्थर की बनावट इसे किस प्रकार पारंपरिक वास्तुशिल्प से अलग बनाती है?
डॉ. पेलेग-बरकात बताती हैं कि इस कलाकृति में असमान पत्तियाँ और मेनोराह की शाखाएँ दर्शाती हैं कि इसे किसी स्थानीय कलाकार ने बनाया होगा, जो शहरी वास्तुशिल्प से परिचित नहीं था। यह ग्रामीण शिल्पकला और धार्मिक प्रतीकों के सम्मिलन का संकेत देता है।
7. विशेषज्ञों और अधिकारियों ने इस खोज पर क्या कहा?
मंत्री एलियाहु ने कहा, “यह खोज हमारे गौरवशाली अतीत और आधुनिक इज़राइल की स्वतंत्रता के बीच पुल है।” IAA के निदेशक एली एसकुसिडो ने जोड़ा, “इस खोज को सार्वजनिक करने के लिए इससे बेहतर समय कोई नहीं हो सकता।” ये बयान IAA के प्रेस सम्मेलन में दिए गए और आधिकारिक रूप से दर्ज हैं।
क्या चीज़ इस कहानी को ज़रूरी बनाती है पढ़ना
यह खोज विश्व में अद्वितीय है जो यहूदी इतिहास और रोमन वास्तुशिल्प को नई रोशनी में रखती है। प्रमाणित शोध, सांस्कृतिक महत्व और रहस्य इसे पढ़ने लायक बनाते हैं।
ये लेख की की जानकारी इज़राइल एंटीक्विटीज अथॉरिटी से ली गयी है।
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